शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

ज़िम्मेदार बेटी

 दिनांक - 11-06-2019

वीणा आज फ़िर रसोई में अकेले खप रही थी। लंबे अंतराल के बाद उसने दुबारा स्कूल की नौकरी शुरू की थी। उसे उम्मीद थी कि अब तो उसकी बड़ी बेटी घर के कामकाज में उसकी सहायता कर दिया करेगी। दो नों मिलकर सब सँभाल लेंगे। लेकिन वीणा की उम्मीदों के सारे किले धराशायी हो गए। उसकी बेटी रिया के व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आया। उसे अहसास ही नहीं होता था कि उसकी माँ घर की सारी जिम्मेदारियाँ अकेले ही उठा रही है। हालाँकि वीणा के पति उसकी सहायता करते थे लेकिन सुबह के समय स्कूल जाते समय छोटे-बड़े कई काम होते थे जिसमें मदद चाहिए होती थी। वीणा और उसकी बेटी एक ही स्कूल में थे। उसके पति भी सुबह जल्दी ऑफिस जाते थे। यानी कि पूरा परिवार एक साथ ही जाता था। सबका ब्रेकफास्ट, लंच बनाना और पैक करना आदि काम वीणा को अकेले ही करने पड़ते थे। जिस दिन वीणा की आँख ज़रा देर से खुलती तो उसकी हालत पस्त हो जाती। पर करती  तो क्या करती। कब तक ऐसे ही खाली घर पर बैठे रहती। इन सबका असर धीरे-धीरे वीणा की सेहत पर पड़ रहा था। ऊपर से तो वो बहुत ऊर्जावान दिखती लेकिन अंदर से बहुत कमज़ोर होती जा रही थी।

वीणा ने कई बार अपनी बेटी को प्यार से फटकार से समझाने की कोशिश की लेकिन कुछ ख़ास अंतर नहीं पड़ा। और फिर वही हुआ जिसका डर था। वीणा बीमार पड़ गई । डॉक्टर ने उसे आराम की सख्त हिदायत दी। अब तो सारी की सारी जिम्मेदारी रिया के ऊपर आ गयी। घर में कोई और तो था नहीं मदद के लिए। रिया का हाल वही था कि 'मरता क्या न करता'।

अब जब रिया को सारा काम अकेले करना पड़ा तब उसे अहसास हुआ कि उसकी माँ पर क्या बीत रही थी। उसके सामने वो पुराने दिन चलचित्र की भाँति घूमने लगे। कैसे बार-बार उसकी माँ उससे सहायता की उम्मीद करती थी, पर उसने कभी ध्यान ही नहीं दिया। रिया की आँखें खुल गयीं थीं। उसे अपनी जिम्मेदारियों का अहसास हो गया था। रिया अब सभी काम बहुत तत्परता से करने लगी थी। उसने अपनी माँ की बहुत सेवा की जिससे वह जल्दी ही स्वस्थ हो गयी। रिया को जिम्मेदार बनता देख वीणा की आँखें भर आईं। उसने रिया को गले लगा कर कहा मुझे अपनी जिम्मेदार बेटी पर गर्व है। रिया की आँखों में भी खुशी के आँसू झिलमिला उठे।


स्वरचित

दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'

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