बुधवार, 23 दिसंबर 2020

मैं हूँ बिंदास







अल्हड़, नटखट, सुलझी हुई

आत्मविश्वास से भरी हुई

अंदाज है मेरा बहुत खास

स्त्री हूँ मैं एकदम बिंदास



पानी सा मेरा मिज़ाज

हर रंग में ढल जाती हूँ

दीपों सी जगमगाती मैं

दीपाली कहलाती हूँ


आशाओं का दामन ना छोड़ूँ कभी

अंधेरों से मैं डरती नहीं

महफ़िल में रौनक लाती हूँ

कहते हसमुख मुझको सभी


दीपाली पंत तिवारी 'दिशा' 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें