एक सपना हुआ है पूरा
जो कब से था अधूरा
आज मेरे अल्फाज़ों को एक नाम मिल गया
वर्षों पहले हुए आगाज़ को अंजाम मिल गया
अब तो यह सिलसिला चलता ही रहेगा
मंजिल की तरफ़ कारवाँ बढ़ता ही चलेगा
कुछ और नई कोंपलें फूटेंगी, मस्तिष्क की जमीं पर
ले कल्पनाओं की उड़ानें, पहुँचेंगी दूर, कहीं क्षितिज पर
मेरा प्रथम काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुका है।
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