हरसू फैला हुआ है ,प्रकृति माँ का आँचल
दे रहा हो जैसे , बच्चों को जीवन पल-पल
पहाडियों से ऐसे , गिरते हैं सुंदर झरने
बात हमसे कोई , आए हों जैसे कहने
दूर तक ये वादियाँ , फूल-पत्तियों से भरी
उनके ऊपर ओस की , प्यारी-प्यारी बूँदें गिरीं
देख के ये दृश्य सुंदर , हो जाए मन बाबरा
काश ऐसे स्वर्ग में , होता एक घर मेरा
बढता ही जाता है , ये सौंदर्य जैसे प्रतिपल
स्वर्ग से भी सुंदर है, हमारा प्यारा उत्तरांचल
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