दिशा जिन्दगी की, दिशा बन्दगी की, दिशा सपनों की, दिशा अपनों की, दिशा विचारों की, दिशा आचारों की, दिशा मंजिल को पाने की, दिशा बस चलते जाने की....
दिनांक - 16-01-2020
विधा - काव्य (मुक्तक)
आज फिर खुला है, यादों का सन्दूक
निकल आए हैं, ना जाने कितने किस्से
कुछ दिखा रहे हैं, बचपन की झाँकियाँ
कुछ ने छेड़े हैं, यौवन के हिस्से
स्वरचित
दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'
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