शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

ये दोस्ती बहुत काम आई

दिनांक - 04-08-2019


 बचपन की गलियों से

जवानी की दहलीज़ तक

बुढ़ापे के सहारे में

अकेलेपन की खीज़ तक

ये दोस्ती बहुत काम आई

जैसे साथ रहे हरदम परछाई


बचपन की शैतानियों में

यौवन की नादानियों में

वृद्धावस्था की ज़दों में

बेख़याली के पलों में

सुन दोस्त तेरी ही याद आई

जैसे साथ रहे हरदम परछाई


है शुक्रिया दिल से 

ए दोस्त तुमसे मिलके

मुझको हमेशा ऐसा लगा

जैसे मिले सुदामा-कृष्ण से

तेरी मित्रता सदा ही भायी

जैसे साथ रहे हरदम परछाई


स्वरचित

दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें