शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

कुदरत का कहर

 

दिनांक - 27- 03-2020


प्रकृति करती थी पोषण

मनुष्य ने किया शोषण

प्राकृतिक संसाधनों का

बहुत किया है दोहन


ये कुदरत है जनाब

रखती है सब हिसाब

बहुत कर ली मनमानी

अब देना होगा जबाब


रूठी है इस बार

कर रही है संहार

हद स्वीकार कर अपनी

करो तुम मान-मनुहार


स्वरचित

दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'

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