दिशा जिन्दगी की, दिशा बन्दगी की, दिशा सपनों की, दिशा अपनों की, दिशा विचारों की, दिशा आचारों की, दिशा मंजिल को पाने की, दिशा बस चलते जाने की....
कहने को एक शब्द
लेकिन पूरा संसार है
माँ तो इस दुनिया में
ईश्वर का अवतार है
त्याग और ममत्व की
यह प्यारी मूर्ति है
घर के सभी रिश्ते
माँ ही जोड़ती है
माँ के आंचल का
कोई सानी नहीं है
माँ के जैसा कोई
भावुक प्राणी नहीं है
स्वरचित
दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'
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