मंगलवार, 31 दिसंबर 2019

2019 की विदाई

अजब-सा नूर है छाया,
आज सूरज की लाली में
खिलें हैं फूल बासंती,
चमन की डाली-डाली में
विदाई दे रही कुदरत,
कूकती कोयल की तानों से
महकोगे सदा याद बनके,
इस जीवन की फुलवारी में
बीता साल अंत नहीं,
आगाज़ है नए साल का
जुड़े हैं कुछ नए मोती,
अनुभव के पिटारे में


आपको सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ

©
स्वरचित
दीपाली पंत तिवारी  'दिशा'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें