शनिवार, 27 जुलाई 2019

बरसो हे मेघ! गाओ मल्हार (बारिश)


है कौन तुमको रोकता?
है कौन तुमको टोकता?
खोल दो तुम अपने द्वार
बरसो हे मेघ! गाओ मल्हार

तपती धरती, तपते वन हैं
आग उगलती ये पवन है
पंछियों की सुन लो पुकार
बरसो हे मेघ! गाओ मल्हार

हुए सूने उपवन, सूनी गलियाँ
गए सूख पनघट, सूखी नदियाँ
भेजो बारिश की रिमझिम फुहार
बरसो हे मेघ! गाओ मल्हार


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