शुक्रवार, 30 मई 2014

नई पहल

मन के बंद दरवाजों पर
आज फिर दस्तक हुई है
गम की अंधेरी रात बीती
खुशियों की सुबह हुई है

जहाँ शब्द मौन हुए थे
वहाँ अब हलचल हुई है
नाउम्मीदी का डेरा हटा
एक नई पहल हुई है

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