रविवार, 4 सितंबर 2011

शिक्षक

मिटा देता है अज्ञान के अँधेरे
जला देता है ज्ञान के दीपक
खुद जलता है बनके शम्मा
तभी कहलाता है वो शिक्षक

जैसे एक मूर्तिकार सँवारता है मूरत
शिक्षक देश का भविष्य उकेरता है
ढाल के ज्ञान के साँचे में सबको
नित नई-नई ऊँचाइयाँ देता है

प्रथम सीढ़ी बनकर देता है
कल्पनाओं को सच्ची उड़ान
लड़खड़ाते हुए नन्हे कदमों में
डालता है आत्मविश्वास की जान

खुश होता है बनके नींव का पत्थर
खड़ी करता है चरित्र की उत्तम इमारत
पैदा करता है नर में कृष्ण और राम को
जो इतिहास रच बढ़ाते हैं गुरु के नाम को

शनिवार, 3 सितंबर 2011

अक्सर जिन्दगी में ऐसे मोड़ आते हैं

अक्सर जिन्दगी में ऐसे मोड़ आते हैं
मंजिल के निशाँ रेत से फिसल जाते हैं
लेकिन यह भी सच है कि ये धोखे
हमको आगे बढ़ना भी सिखाते हैं
अक्सर जिन्दगी---------------------------

१- एक सपना पालो तुम आँखों में
जल उठेगा उम्मीद का दीया
हों रास्ते कितने ही कठिन क्यों न
कम ना करना कभी होंसला
अक्सर जिन्दगी में ऐसे मोड़ आते हैं
मंजिल के निशाँ रेत से फिसल जाते हैं

२- जो न बैठे कभी हार के हरदम बढ़ता रहे
अँधेरों की देहरी के पार उसे ही रोशनी मिले
तूफानों से लड़कर जो रास्ता बनाता है
लक्ष्य अपना वो ही हासिल कर पाता है
अक्सर जिन्दगी में ऐसे मोड़ आते हैं
मंजिल के निशाँ रेत से फिसल जाते हैं

जिन्दगी का कारवाँ रुका सा लगे

जिन्दगी का कारवाँ रुका सा लगे
सब कुछ अब यहाँ थमा सा लगे
छाई है इक उदासी सीने में इक घुटन है
इक-इक पल अब यहाँ बरस सा लगे
जिन्दगी का कारवाँ रुका सा लगे

१- ऐसा नहीं कि हमने बाजी नहीं लगाई
कोशिश बहुत करी पर हरदम ही मात खाई
थक गए अब बहुत हम कदम लड़खड़ा गए
जिन्दगी का कारवाँ रुका सा लगे

२- उम्मीद की किरन हम ढूँढते हैं अभी भी
मंजिल की ओर उठकर बढ़ते हैं अभी भी
पर आशाओं का दीया बुझता सा लगे
जिन्दगी का कारवाँ रुका सा लगे