जिन्दगी का कारवाँ रुका सा लगे
सब कुछ अब यहाँ थमा सा लगे
छाई है इक उदासी सीने में इक घुटन है
इक-इक पल अब यहाँ बरस सा लगे
जिन्दगी का कारवाँ रुका सा लगे
१- ऐसा नहीं कि हमने बाजी नहीं लगाई
कोशिश बहुत करी पर हरदम ही मात खाई
थक गए अब बहुत हम कदम लड़खड़ा गए
जिन्दगी का कारवाँ रुका सा लगे
२- उम्मीद की किरन हम ढूँढते हैं अभी भी
मंजिल की ओर उठकर बढ़ते हैं अभी भी
पर आशाओं का दीया बुझता सा लगे
जिन्दगी का कारवाँ रुका सा लगे
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें