शनिवार, 3 सितंबर 2011

जिन्दगी का कारवाँ रुका सा लगे

जिन्दगी का कारवाँ रुका सा लगे
सब कुछ अब यहाँ थमा सा लगे
छाई है इक उदासी सीने में इक घुटन है
इक-इक पल अब यहाँ बरस सा लगे
जिन्दगी का कारवाँ रुका सा लगे

१- ऐसा नहीं कि हमने बाजी नहीं लगाई
कोशिश बहुत करी पर हरदम ही मात खाई
थक गए अब बहुत हम कदम लड़खड़ा गए
जिन्दगी का कारवाँ रुका सा लगे

२- उम्मीद की किरन हम ढूँढते हैं अभी भी
मंजिल की ओर उठकर बढ़ते हैं अभी भी
पर आशाओं का दीया बुझता सा लगे
जिन्दगी का कारवाँ रुका सा लगे

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