दिशा जिन्दगी की, दिशा बन्दगी की, दिशा सपनों की, दिशा अपनों की, दिशा विचारों की, दिशा आचारों की, दिशा मंजिल को पाने की, दिशा बस चलते जाने की....
यादों के पिटारे में, ख़ूबसूरत लम्हे उड़ेलकर
जिंदगी के कैनवास पर इंद्रधनुषी रंग बिखेरकर
देखो दामन छुड़ाकर, यह साल जा रहा है
उम्मीदों की टोकरी, सपनों की पोटली भरकर
आने वाले कल की सुंदर तस्वीरें उकेरकर
नववर्ष नई भोर-सा मुसकाता आ रहा है
दीपाली 'दिशा'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें