बुधवार, 17 अगस्त 2011

देशभक्‍ति का मर्म

आज की चर्चा का, मुख्य विषय है
क्या ’देशभक्‍ति’ की, किसी को ख़बर है
कुछ बच्चे कहते हैं, शायद ये एलियन हैं
छ्ब्बीस जनवरी और पन्द्रह अगस्त, इनके मैन दिन हैं

मैने कहा, बच्चों, "क्या तुम इनका अर्थ समझते हो ?
क्यों बन गए ये दोनों एलियन? इसका मर्म कह सकते हो?"
बच्चे बोले, "आंटी ! क्या ओल्ड लोगों की बातें करती हो?
स्पाइडर मैन, सुपरमैन के बारे में, क्यों नहीं पूछती हो?"
मैंने कहा, अरे ! "ये तो टी.वी. के कलाकार हैं"
तब बच्चे बोले ,"देशभक्‍ति कौन से सुपरस्टार हैं"
हमें तो ऐसे लोग ही ध्यान में रहते हैं
जो अक्सर लाइम लाइट में रहते हैं
अभी इनको,(क्या नाम बोला) हाँ-हाँ,
देशभक्‍ति को, कहाँ से याद करेगा
आजकल इनका ज़िक्र, कहीं नहीं मिलेगा
अब आपको पता है, तो खुद ही बता दीजिए
और इस कन्फ्यूजन को रफ़ा-दफ़ा कीजिए

मुझे लगा, यह अच्छा मौका है, सोई भावनाएँ जगाने का
इन बच्चों को, देशभक्‍ति से, रुबरू कराने का
मैने कहा, बच्चों! "देशभक्‍ति एक शब्द अथवा नाम नहीं है
ये वो भावनाएँ हैं जो आजकल आम नहीं है"
फिर भी मैं, कोशिश करती हूँ, तुम्हें समझाने की
सोई भावनाओं को, फिर से जगाने की
सुनो," अंग्रेजी’ में जो मतलब ’पैट्रीओज़्म’ का होता है
उसी को हिन्दीभाषी ’देशभक्‍ति’ समझता है
कभी ’आजाद’ और भगतसिंह ने, इनको जाना था
सुभाष चंद्र बोस भी, इनका दीवाना था

देशभक्‍ति के भाव ने उनमें इतनी शक्‍ति भर दी
इन सब ने मिलकर अंग्रेजों की छुट्टी कर दी
सारे देशवासियों के दिल में जब देशभक्‍ति समाई थी
तभी तो देश में अंग्रेजों की शामत आई थी
छोड़कर भारत की ज़मीं उन्हें जाना पड़ा था
देशभक्‍ति की ताकत से ही उनका सिर झुका था

समझे बच्चों ! पूरा देश हमारा घर तथा परिवार है
यही भावना देशभक्‍ति का आधार है
गर इतनी सी बात तुम समझ जाओगे
खुद को देशभक्‍ति से ओत-प्रोत पाओगे

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें