आजादी का सलाम आप सबके नाम
बदलती दुनिया के बदलते रंग
आजादी के भी बदले ढंग
लड़कियों को चाहिए घूमने की आजादी
लड़कों को चाहिए चूमने की आजादी
बच्चे समझे माँ-बाप को पाजी
अब ना भाए लोगों को संग
बदलती दुनिया के बदलते रंग
पतियों को हरदम चेंज चाहिए
बीबियों को हसबंड सेम चाहिए
दाल-रोटी नहीं बिरयानी चाहिए
दूध-लस्सी बने अब विस्की और रम
बदलती दुनिया के बदलते रंग
यह सही है कि बदलाव जरूरी है
लेकिन पुराने अनुभव ही नवीनता की धुरी है
जब भी हो नवप्रवर्तन
प्राचीन को मिले नवीन का संग
बदले दुनिया पर न हो पतन
सबको आए जीने का ढंग
जय हिंद जय भारत
पुराने अनुभव ही नवीनता की धुरी हैं, में मानों पूरी कविता की जान बसी है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर,सार्थक और प्रेरक प्रस्तुती ...
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