दिशा जिन्दगी की, दिशा बन्दगी की, दिशा सपनों की, दिशा अपनों की, दिशा विचारों की, दिशा आचारों की, दिशा मंजिल को पाने की, दिशा बस चलते जाने की....
रविवार, 18 अक्तूबर 2009
संगीत एक नशा है, जादू है, जो सर चढ़ के बोलता है
कहते हैं कि संगीत एक नशा है, जादू है, जो सर चढ़ के बोलता है. यही नहीं संगीत आत्मा की आवाज है जो इंसान में जोश और जूनून पैदा कर देता है और लोगों तक शान्ति तथा सदभाव पहुँचाने का जरिया भी है. शायद कुछ इसी मकसद से पाकिस्तानी गायकों ने अपने बैंड का नाम ’जूनून’ रखा होगा. खैर उनका मकसद जो भी रहा हो लेकिन उनके संगीत में जूनून नजर आता है जो लोगों में भी एक भाव पैदा कर देता है. ’जूनून’ पाकिस्तान का एक प्रसिद्ध बैंड है. यूं तो पाकिस्तान के कई बैंड यहाँ हिन्दुस्तान में आये हैं लेकिन ’जूनून’ ने काफी ख्याति पायी है. पिछले दस सालों में जूनून बैंड की पाँच एल्बम आयीं हैं जिनमें से सभी ने धूम मचायी है. यह पाकिस्तान के इतिहास का सबसे प्रसिद्ध बैंड है. आगे पढ़िए मेरी कलम से हिन्दयुग्म पर आवाज में रविवार सुबह की काफी कुछ दुर्लभ गीत
गुरुवार, 15 अक्तूबर 2009
आज है धनतेरस
पापा आज है धनतेरस
ऐसे बैठे हो क्यों नीरस
पता नहीं है क्या तुमको
बाजार जाना है हमको
दादी ने है मुझे बताया
क्यों धनतेरस मनाते हैं
आज के दिन बाजार से
हम नई-नई चीजें लाते हैं
कोइ लाता सोना-चाँदी
कोइ रसोई के बर्तन
फ्रिज-टीवी भी लाते हैं
और लाते रोली-चंदन
बोलो पापा क्या लायेंगे
कुछ सोचा है तुमने
मैने सोचा है लायेंगे
पहले दादी के चश्मे
कई दिनों से देखा मैने
असमंजस में रहती है
ठोकर खाती गिरती-पढती
इधर-उधर फिरती है
कोइ बात नहीं तुम मुझको
कुछ भी मत दिलवाना
अब छोडो़ अपनी दुविधा
पहले दादी के चश्मे लाना
दीवाली पर जब आ जायेगी
उसकी आँखों की उजियाली
तभी मनाऊँगा मैं पापा
खुश होकर यह दीवाली
बुधवार, 14 अक्तूबर 2009
जलते हैं दिए
Wednesday, October 14, 2009
दिये जले सबके दिल में
जलते हैं दिए राह में,
करने को उजियारा
प्रकाश की हुयी जय,
और पराजित हुआ अँधियारा
आगे पढ़िए मेरी कलम से हिदयुग्म पर बाल उद्यान में
शनिवार, 3 अक्तूबर 2009
शास्त्री जी और गाँधी जी
२ अक्तूबर
आज ही के दिन जन्मे थे
भारत माँ के दो लाल
जिन्होंने दी कुर्बानियाँ
काटे अंग्रेजों के जाल
एक का नाम है लालबहादुर
दूजे को कहते गाँधी
दोनों ने ही फैलायी थी
आजादी की आँधी
दिया बापू ने हम सबको
सत्य अहिंसा का ग्यान
शास्त्री जी का अस्तित्व है
अमिट और महान
जो इंसा कर्तव्य की वेदी पर
प्राण न्यौछावर कर जाते हैं
सही मायनो में वे ही अपना
जन्म सफल कर जाते हैं.
एक जिन्दगी और अन्दाजे बयाँ कितने
दोस्तों कुछ चीजें ऐसी होती है जो हमारी जिन्दगी में धीरे-धीरे कब शामिल हो जाती है हमें पता ही नहीं चलता. एक तरह से इन चीजों का न होना हमें बेचैन कर देता है. जैसे सुबह एक प्याली चाय हो पर इन चाय की चुसकियों के साथ अखबार न मिले, फिर देखिए हम कितना असहज महसूस करते है. देखिए ना, आपका और हमारा रिश्ता भी तो रविवार सुबह की काँफी के साथ ऐसा ही बन गया है. अगर रविवार की सुबह हो लेकिन हमें हिन्दयुग्म पर काँफी के साथ गीत-संगीत सुनने को न मिले तो पूरा दिन अधूरा सा रहता है पता ही नहीं लगता कि आज रविवार है. यही नहीं काँफी का जिक्र भर ही हमारे दिल के तार हिन्दयुग्म से जोड़ देता है.आइये आगे पढ़ते हैं मेरी कलम से हिन्दयुग्म पर आवाज में रविवार सुबह की कॉफी और कुछ दुर्लभ गीत