शुक्रवार, 3 जुलाई 2009

बोर्ड की खामियों, माता-पिता की सोच और शिक्षकों के व्यवहार में बदलाव की जरूरत

आजकल बोर्ड का इम्तहान चर्चा क विषय बना हुआ है. हो भी क्यों ना, भई इसी से तो बच्चों के भविष्य की डोर बँधी हुयी है. इस विषय में सभी ने अपने-अपने विचार रखे. किसी ने बोर्ड परीक्षा को बच्चों पर बोझ और आत्महत्या का कारण बताया तो किसी ने कहा कि परीक्षा बच्चों को मज़बूत बनाती है साथ ही आगे आने वाली परिक्षाओं के लिये तैयार करती है.मुझे दोनों ही वर्गों की बातें अपनी-अपनी जगह ठीक लगीं. आगे की पोस्ट बैठक पर पढ़ें .....बोर्ड न होने से क्या होगा ?

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