रविवार, 14 सितंबर 2025

हिंदी से हिन्दुस्तान है

मातृभाषा पर मान है मुझको 
हम सबकी ये शान है 
हिंदी मेरे देश की भाषा 
हिंदी से ही हिन्दुस्तान है 

हिंदी वर्णों के मोती मिल 
शब्दों का हार बनाते हैं 
नित नया सृजन करते हैं 
अद्भुत साहित्य रचाते हैं 
यहीं हमें मिलते सूर कबीर 
और यहीं मिलते रसखान हैं 
हिंदी मेरे देश की भाषा 
हिंदी से ही हिन्दुस्तान है 

साहित्य की अविरल सरिता 
बस यूँ ही बहती रहती है 
कश्मीर से कन्याकुमारी तक 
हिंदी हरदिल में बसती है 
ढाई आखर प्रेम का इसका 
जोड़े दे सारा जहान रे 
हिंदी मेरे देश की भाषा 
हिंदी से ही हिन्दुस्तान है 

स्वरचित 
दीपाली पंत तिवारी `दिशा’