दोस्तों कुछ लोग होते हैं बड़े ही विचित्र
हर शुक्रवार को बदले सिनेमाहॉल में जैसे चलचित्र
इसी कारण तो सभी कहें इनको बरसाती मेढक
आते ही मुसीबतों की वर्षा करते दोस्तों संग बैठक
अक्सर ये सच्ची दोस्ती का राग अलापते हैं
इसी के नाम पर अपना काम निकालते हैं
रंग बदलना इनकी फितरत में शामिल है
सच पूछो ये इंसानियत के कातिल हैं
यही नहीं गिरगिट भी इन पर गुस्सा करता है
करते हो मुझे क्यों बदनाम ऐसा अक्सर कहता है
इतने रंग तो मैंने भी नहीं बदले जितने तुम लोग बदलते हो
बरसात जाते ही गधे के सिर से सींग जैसे नदारद मिलते हो